भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने पहले सूर्य मिशन Aditya L-1 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सक्सेसफुली लॉन्च कर दिया है।
Aditya L-1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लांच होने के एक घंटे में ही अर्थ के ऑर्बिट में पहुंच गया था और यह 4 महीनों में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके L-1 प्वाइंट पर जाएगा जिसे लैगरेज प्वाइंट भी कहा जाता है।
लैगरेज प्वाइंट का नाम 18 वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ लुई लैगरेज के नाम पर रखा गया है।
लैगरेज प्वाइंट एक ऐसा जगह होता है जहां पर दो आकाशीय पिंडों की गुरुत्वाकर्षण बल एक समान होता है यानी की उस प्वाइंट पर पहुंचने के बाद Aditya L-1 को ठहरने के लिए कोई भी ऊर्जा की आवश्यकता नही पड़ेगी जिससे की यह अधिक समय तक उस प्वाइंट पर ठहर पर पाएगा, इसरो के मुताबिक लगभग 5 सालों तक Aditya L-1 लैगरेज प्वाइंट पर ही रहेगा और वहीं से सूर्य की स्टडी करेगा।
दोस्तों Aditya L-1 Satalite को इतने हार्ड मेटल से बनाया गया है जिससे की ये सूरज की भीषण गर्मी को भी झेल सकेगा, हालांकि इसमें कौन कौन से धातुओं का इस्तेमाल किया गया है इसके बारे में इसरो के तरफ से कोई भी जानकारी नहीं दिया गया है क्योंकि स्पेस प्रोजेक्ट से जुड़ी कई सारी जानकारियों को गुप्त रखा जाता है।
Aditya L-1 पर लगे हैं ये 7 Payloads
- Visible Emission Line Coronagraph (VELC).
- Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT).
- Solar Low Energy X-ray Spectrometer (SOLEX).
- High Energy L-1 Orbiting X-ray Spectrometer (HEL1OS).
- High Energy L-1 Orbiting X-ray Spectrometer (HEL1OS).
- Aditya Solar Wind Partical Experiment (ASPEX).
- Plasma Analyser Package For Aditya (PAPA).
Aditya L-1 सूर्य पर करेगा इन चीजों की स्टडी
Aditya L-1 पर सात तरह के उपकरण लगाए गए हैं जिन्हे आप 7 Payloads भी कह सकते हैं, पहला है Visible Emission Line Coronagraph (VELC) यह कोरोना ग्राफ को स्टडी करेगा और कोरोनल मास इंजेक्शन को ऑब्जर्व करेगा, दूसरा है Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) यह अल्ट्रा वायलेट स्पेक्ट्रम में सूर्य की फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की फोटो लेगा , तीसरा है Solar Low Energy X-ray Spectrometer (SOLEX) और चौथा है High Energy L-1 Orbiting X-ray Spectrometer (HEL1OS), ये दोनों सोलर फ्लेयर के दौरान सूरज से निकलने वाली X-ray किरणों को स्टडी करेंगे, पांचवां है Aditya Solar Wind Partical Experiment (ASPEX), और छठवां है Plasma Analyser Package For Aditya (PAPA), ये दोनो सोलर विंड को स्टडी करेंगे, सातवां और आंखिरी है Magnetometer (MAG), इसका काम है मैग्नेटिक फील्ड को मेजर करना।
यानी की दोस्तों इन 7 में से 4 Payloads डायरेक्ट सूरज को स्टडी करेंगे और बाकी के 3 Payloads लैगरेज प्वाइंट के आसपास मेजर करेंगे, दोस्तों अब आप ये समझ ही गए ही होंगे की धरती से बाहर निकलना जरूरी है इन मेजरमेंट को लेने के लिए क्योंकि धरती का एटमॉस्फेयर बहुत सारे रेडिएशन, X-ray और बहुत सारी चीजों को धरती में आने से रोकती है जो की इंसानों के लिए अच्छा है लेकिन स्टडी के लिए नहीं इसलिए उन्हें स्टडी करने के लिए धरती से बाहर निकलना जरूरी है और इसलिए Aditya L-1 Satellite को सूर्य को स्टडी करने के लिए धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर लैगरेज प्वाइंट पर भेजा जा रहा है।
बाकी और सूर्य मिशन की बात की जाए तो साल 2018 में NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर Parker Solar Probe लांच किया था जिसका मकसद था सूरज की जो कोरोना लेयर होती है उसके साथ डायरेक्ट कॉन्टैक्ट बनाना, इसके अलावा साल 2020 में भी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सोलर ऑर्बिटर लॉन्च किया था और इसका मकसद भी था सूरज को स्टडी करना।