भारत में मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून और प्रावधान

मॉब लिंचिंग का अर्थ है भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को पीट-पीटकर हत्या करना। यह समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है, खासकर तब जब सोशल मीडिया और अफवाहों का दुरुपयोग होता है। भारत में मॉब लिंचिंग के खिलाफ अलग से कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन मौजूदा कानूनी प्रावधान और न्यायालयों के दिशा-निर्देश इस समस्या से निपटने में मदद करते हैं।

मॉब लिंचिंग के खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधान

  1. भारतीय दंड संहिता (IPC)
    • धारा 302: हत्या के लिए इस्तेमाल की जाती है। मॉब लिंचिंग के मामलों में यदि पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, तो इस धारा के तहत दोषियों को दंडित किया जाता है।
    • धारा 307: हत्या के प्रयास के मामलों में लागू होती है।
    • धारा 323: जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामलों में।
    • धारा 147 और 148: दंगा करने और हथियारों के साथ दंगा करने के लिए।
    • धारा 149: यदि कोई अपराध भीड़ द्वारा किया गया है, तो प्रत्येक सदस्य को जिम्मेदार ठहराने के लिए।
  2. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
    • धारा 144: सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए क्षेत्र में चार या उससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देती है।
  3. अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
    यदि मॉब लिंचिंग किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ होती है, तो इस अधिनियम के तहत कठोर दंड का प्रावधान है।
  4. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
    जुलाई 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने “तहलका फाउंडेशन बनाम भारत सरकार” मामले में मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
    • फास्ट ट्रैक कोर्ट: मॉब लिंचिंग के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें।
    • पुलिस की जिम्मेदारी: पुलिस को मॉब लिंचिंग के संभावित मामलों को रोकने के लिए सतर्कता बरतने का आदेश।
    • नोडल अधिकारी की नियुक्ति: हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए जो मॉब लिंचिंग से संबंधित मामलों की निगरानी करे।
    • मुआवजा योजना: पीड़ित या उनके परिवारों को मुआवजा देने का प्रावधान।
  5. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993
    मॉब लिंचिंग जैसे मामलों में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

राज्यों के कानून

कुछ राज्यों ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अलग से कानून बनाए हैं।

  1. मणिपुर: “मणिपुर प्रोटेक्शन फ्रॉम मोब वायलेंस एक्ट, 2018” में मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त प्रावधान हैं।
  2. राजस्थान: “राजस्थान प्रोटेक्शन फ्रॉम लिंचिंग एक्ट, 2019” के तहत दोषियों को आजीवन कारावास और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
  3. हरियाणा: “हरियाणा मोब लिंचिंग एक्ट, 2019” भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मॉब लिंचिंग रोकने के उपाय

  1. सख्त कानून लागू करना: मॉब लिंचिंग के मामलों में सख्त कार्रवाई और त्वरित सुनवाई।
  2. जन जागरूकता: लोगों को मॉब लिंचिंग के दुष्परिणामों के बारे में शिक्षित करना।
  3. सोशल मीडिया पर निगरानी: अफवाहों और फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए प्रभावी निगरानी।
  4. समुदाय में शांति समितियां: स्थानीय स्तर पर शांति और विश्वास बहाल करने के लिए।

निष्कर्ष

मॉब लिंचिंग एक गंभीर सामाजिक और कानूनी समस्या है। इसे रोकने के लिए कानूनों का सख्ती से पालन करना, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को लागू करना, और समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। राज्यों और केंद्र सरकार को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि देश में कानून व्यवस्था मजबूत बनी रहे।