इस आर्टिकल में आप जानेंगे Aloe Vera Ki Kheti Kaise Kare के बारे में।
एलोवेरा एक औषधीय फसल है, इसका इस्तेमाल चिकित्सकीय दवाईयों, सौंदर्य सामग्री, आचार तथा जूस बनाने में किया जाता है। एलोवेरा एक अंग्रेजी शब्द है इसको हिंदी में ग्वारपाटा और घृतकुमारी के नाम से जाना जाता है। एलोवेरा की खेती प्राचीन काल से ही होती आ रही है इसका ज्यादातर इस्तेमाल औषधीय बनाने में किया जाता था। वर्तमान में एलोवेरा की खेती बहुत तेजी से हो रही है आज के समय में विभिन्न कामों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के कई फार्मासिस्ट कंपनियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही सौंदर्य सामग्री बनाने वाली कंपनियों में भी इसकी मांग रहती है जिसके वजह से मार्केट में इसका बहुत डिमांड है।
एलोवेरा की खेती मोटी कमाई करने का एक अच्छा जरिया है जिसके माध्यम से किसान भाई अच्छा खासा कमाई कर सकते हैं। दोस्तों आज हम इस ऑर्टिकल में जानेंगे Aloe Vera Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai के बारे में।
Aloe Vera Ki Kheti Kaise Kare
एलोवेरा की उन्नत किस्में (Aloe Vera Improved Varieties)
एलोवेरा की अच्छी पैदावार के लिए इसके उन्नत किस्म का चयन करना आवश्यक है, भारत में एलोवेरा की कई किस्में मौजूद हैं जिनमें से L-1, 2, 5 सिम सीतल और 49 प्रमुख हैं इनको कई परीक्षण के बाद तैयार किया गया है। इनमे बहुत अधिक मात्रा में गूदा पाया जाता है। इसके अलावा भी भारत में इसके कई किस्में प्रचलित हैं जैसे – IC 111271, IC 111269, IC 111280, IC 111273 इन्हे भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जा जाता है।
एलोवेरा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Aloe Vera Cultivation Suitable Soil)
एलोवेरा की खेती करने के लिए मिट्टी का उपजाऊ होना बहुत आवश्यक है, इसे बलुई दोमट मिट्टी वाले पहाड़ी जगहों में भी उगाया जा सकता है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में व्यापारिक रूप से इसकी खेती की जाती है। ऐलोवेरा की खेती करने के लिए भूमि का PH मान 8.5 तक उचित माना जाता है।
एलोवेरा के खेत की तैयारी (Aloe Vera Field Preparation)
ऐलोवेरा की फसल को खेतों में लगाने से पहले खेत की अच्छी से जुताई किया जाता है, एलोवेरा के जड़ें जमीन के अंदर 25-30 CM तक जाती है लेकिन ये अपने लिए पोषक तत्वों को बहरी रिसोर्स से ही प्राप्त करते हैं, जिसके वजह से खेत की अंदर तक अच्छे से जुताई करना जरूरी है, जुताई करने के बाद इसे कुछ समय के लिए खुला छोड़ दिया जाता है, इसके बाद खेत में रोटावेटर लगाकर इसको दो से तीन बार तिरछी जुताई किया जाता है। जुताई के बाद मिट्टी में गोबर के खाद को डालकर अच्छे से मिलाया जाता है जिससे मिट्टी उपजाऊ हो जाए। एलोवेरा की अच्छी पैदावार के लिए पुराना गोबर का खाद ही सही होता है। भूमि में नमी बनाए रखने के लिए इसमें पानी डालकर फिर से जुताई किया जाता है। इसके कुछ दिनों बाद वह खेत एलोवेरा कि फसल लगाने के लिए तैयार हो जाता है।
एलोवेरा की खेती कब और कैसे करे (Aloe Vera Plants Transplanting Right Time and Method)
एलोवेरा की बीज को न लगाकर, इसके पौधों को लगाना उचित होता है इसके पौधों को किसी अच्छे से सरकारी नर्सरी से खरीद लें, लेकिन ध्यान रखें की पौधे स्वास्थ्य होने चाहिए जो की 4 महीना पुराने हों जिसमे 4-5 पत्तियां आ चुकी हों। एलोवेरा की सबसे खास बात यह की खरीदे हुए पौधे को एक महीना बाद भी खेत में लगाया जा सकता है। एलोवेरा की अच्छी पैदावार के लिए फसल को लगाने का तरीका और समय भी मायने रखता है। इसको लगाते समय इसकी जड़ों को जमीन में अच्छे तरह से दबा दें और पौधों के बीच कम से कम 60 CM की दूरी होना चाहिए जिससे पत्तियां तैयार होने पर उन्हें तोड़ने में आसानी हो। एलोवेरा की पौधों को जुलाई के महीनों में लगाना चाहिए क्योंकि इस समय बारिश का मौसम होता है जिससे पौधों को नमी की पर्याप्त मात्रा मिलती है, आप इसे सिंचाई वाले जगहों में भी लगा सकते हैं।
एलोवेरा के पौधों की सिंचाई का तरीका (Aloe Vera Plants Irrigate)
एलोवेरा की फसल को तैयार करने के लिए भूमि में नमी का होना जरूरी है इसलिए इसको लगाते ही इसमें पहली सिंचाई कर दी जाती है। इसमें नमी बनाए रखने के लिए हल्का हल्का सिंचाई करते रहें। भूमि में ज्यादा जलभराव भी नही चाहिए ज्यादा भराव होने पर पानी को भूमि से बाहर निकल देना चाहिए। एलोवेरा कम पानी में भी अच्छे से विकाश कर सकता है। इसमें बस जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई करें।
एलोवेरा के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Aloe vera plant Diseases and their Prevention)
एलोवेरा में न के बराबर रोग होता है, लेकिन कभी कभी इसकी पत्तियों में धब्बे जैसे पड़ने लगते है जिसके लिए आप इसमें मैंकोजेब, रिडोमिल और डाइथेन एम-45 की उचित मात्रा का छिड़काव करें जिससे बिमाई दूर हो जाएगी।
एलोवेरा की बाजारी भाव और फसल की कटाई (Aloe Vera Crop Harvesting, and Market Rate)
एलोवेरा की पत्तियां 8 महीना में कटाई के लिए तैयार हो जाता है अगर मिट्टी उपजाऊ न हो तो इसे 10-12 महीना भी लग जाता है। पहली बार कटाई कर देने कर यह अगले दो महीने में फिर से कटाई के लिए तैयार हो जाता है। एक एकड़ में कम से कम 11,000 से भी अधिक पौधों को लगाया जा सकता है। इसकी मार्केट रेट की बात करें तो इसका बाजारी भाव 15-30 हजार रूपये प्रति टन होता है। जिससे आप एक बार के फसल से है 4-5 लाख रुपए कमा सकते हैं।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में मैने आपको Aloe Vera Ki Kheti Kaise Kare के बारे में बताया, जिसमे आपने जाना की Aloe Vera Ki Kheti Karne Ka Tarika Kya Hai और इसे कैसे किया जाता है, उम्मीद करता हूं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा, दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अन्य लोगों तक जरूर शेयर करें ताकी वे भी Aloe Vera Ki Kheti Kaise Hoti Hai के बारे में जान सकें।