अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट या अन्य उपकरण जब अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं या खराब हो जाते हैं, तो उन्हें प्रबंधन के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष प्रदूषण (space debris) को कम करने और पृथ्वी पर संभावित खतरों को रोकने के उद्देश्य से की जाती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि खराब सैटेलाइट्स को कहां और कैसे गिराया जाता है।
सैटेलाइट की उपयोग अवधि
सैटेलाइट्स का जीवनकाल सीमित होता है। यह उनके ईंधन, बैटरी, और उपकरणों की स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर सैटेलाइट्स का जीवनकाल 10-15 साल का होता है। इसके बाद वे या तो खराब हो जाते हैं या उनका उपयोग बंद हो जाता है।
खराब सैटेलाइट्स का प्रबंधन
- नियंत्रित पुन: प्रवेश (Controlled Reentry):
जब कोई सैटेलाइट खराब हो जाता है, तो इसे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराया जाता है। सैटेलाइट को ऐसी जगह गिराया जाता है जहां मानव बस्तियां न हों। इस प्रक्रिया में वायुमंडल के घर्षण से सैटेलाइट का अधिकांश भाग जलकर नष्ट हो जाता है। - स्पेस का कब्रिस्तान (Space Graveyard):
पृथ्वी के महासागरों में एक विशेष क्षेत्र को “निमो प्वाइंट” (Point Nemo) कहा जाता है। यह स्थान पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ क्षेत्र है, जो मानव आबादी से हजारों किलोमीटर दूर स्थित है। खराब सैटेलाइट्स को इसी क्षेत्र में गिराया जाता है ताकि मानव जीवन को कोई नुकसान न पहुंचे। - जियोस्टेशनरी कब्रिस्तान कक्षा (Geostationary Graveyard Orbit):
यदि सैटेलाइट पृथ्वी पर वापस नहीं लाया जा सकता, तो उसे जियोस्टेशनरी ऑर्बिट से ऊपर की कक्षा में भेज दिया जाता है। इसे “कब्रिस्तान कक्षा” (Graveyard Orbit) कहते हैं। यह एक निष्क्रिय क्षेत्र है जहां खराब उपकरणों को छोड़ दिया जाता है ताकि वे अन्य सक्रिय सैटेलाइट्स को बाधा न पहुंचाएं।
क्यों चुना जाता है निमो प्वाइंट?
निमो प्वाइंट को “अंतरिक्ष का कब्रिस्तान” कहा जाता है क्योंकि यह पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ स्थान है।
- यह दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित है।
- मानव आबादी से इसकी दूरी लगभग 2,700 किलोमीटर है।
- इस क्षेत्र में जहाजों और विमानों की गतिविधियां भी कम होती हैं।
सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभाव
खराब सैटेलाइट्स के पृथ्वी पर गिरने से पर्यावरण और मानव जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है। इस कारण इन्हें सुरक्षित और सुनियोजित तरीके से नष्ट किया जाता है।
- वायुमंडलीय घर्षण: अधिकांश सैटेलाइट वायुमंडल में प्रवेश करते समय जलकर नष्ट हो जाते हैं।
- अनियंत्रित पुन: प्रवेश: यदि सैटेलाइट पर नियंत्रण खो जाता है, तो यह अनियंत्रित तरीके से पृथ्वी पर गिर सकता है, जिससे खतरा बढ़ सकता है।
भविष्य में समाधान
अंतरिक्ष प्रदूषण को रोकने के लिए वैज्ञानिक नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं:
- ऑर्बिटल क्लीनअप मिशन: स्पेस में कचरे को हटाने के लिए रोबोटिक उपकरण और लेजर तकनीक विकसित की जा रही है।
- पुन: प्रयोज्य सैटेलाइट्स: भविष्य में सैटेलाइट्स को इस तरह बनाया जाएगा कि वे खराब होने पर दोबारा उपयोग किए जा सकें।
निष्कर्ष
खराब सैटेलाइट्स का प्रबंधन एक जटिल और जिम्मेदार प्रक्रिया है। इन्हें या तो निमो प्वाइंट में गिराया जाता है या कब्रिस्तान कक्षा में भेजा जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि इससे पृथ्वी पर जीवन और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। अंतरिक्ष प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नई तकनीकों का विकास जारी है, जिससे भविष्य में यह समस्या और बेहतर ढंग से सुलझाई जा सकेगी।