भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 (Article 370) जम्मू-कश्मीर राज्य को एक विशेष दर्जा प्रदान करता था। यह अनुच्छेद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के लागू होने के बाद शामिल किया गया था। अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में एक स्वायत्त राज्य का दर्जा प्राप्त था, जिससे इसे संविधान के कई प्रावधानों से छूट मिलती थी।
अनुच्छेद 370 की मुख्य विशेषताएँ
- स्वतंत्र संविधान
जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान था, जिसे 17 नवंबर 1956 को अपनाया गया और यह 26 जनवरी 1957 से लागू हुआ। - विशेष कानून व्यवस्था
भारतीय संसद केवल रक्षा, विदेश मामले, और संचार से संबंधित कानून बना सकती थी। अन्य विषयों पर कानून बनाने के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक थी। - नागरिकता और संपत्ति के अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर में “स्थायी निवासियों” को विशेष अधिकार दिए गए थे। केवल स्थायी निवासी ही जमीन खरीद सकते थे और सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते थे। - अलग झंडा और पहचान
जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक था। - राष्ट्रपति का सीमित अधिकार
अनुच्छेद 370 के तहत, भारत के राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर के लिए संविधान संशोधन या अन्य निर्णय केवल राज्य सरकार की सहमति से कर सकते थे।
इतिहास और पृष्ठभूमि
जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय समझौता (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद, भारतीय संविधान सभा ने अनुच्छेद 370 को अस्थायी प्रावधान के रूप में संविधान में शामिल किया।
अनुच्छेद 370 का प्रभाव
- जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा था, लेकिन इसे अधिक स्वायत्तता प्राप्त थी।
- यह प्रावधान केवल अस्थायी था, लेकिन यह 70 वर्षों तक जारी रहा।
अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण (2019)
5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया। इसके तहत निम्नलिखित बदलाव किए गए:
- अनुच्छेद 370 समाप्त
अब जम्मू-कश्मीर भारत के अन्य राज्यों की तरह पूरी तरह से भारतीय संविधान के अधीन है। - राज्य का विभाजन
जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया:- जम्मू-कश्मीर (विधानसभा सहित)
- लद्दाख (बिना विधानसभा के)
- विशेष अधिकार समाप्त
अब भारत के सभी नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकते हैं और वहां बस सकते हैं।
अनुच्छेद 370 के हटने के परिणाम
- राष्ट्रीय एकता में वृद्धि
अब जम्मू-कश्मीर भारत के अन्य राज्यों के समान अधिकार और कर्तव्य रखता है। - विकास की गति
राज्य में निवेश, पर्यटन, और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। - राजनीतिक विवाद
अनुच्छेद 370 के हटने के फैसले ने देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक बहस को जन्म दिया।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 370 भारतीय राजनीति का एक अहम अध्याय था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता दी। इसका हटना भारत की अखंडता और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है। हालाँकि, इसके प्रभावों का पूरा आकलन आने वाले वर्षों में ही हो सकेगा।