बच्चों को किस उम्र में कौनसा टीका लगवाना चाहिए, जानिए पूरी जानकारी

बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाने और उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए टीकाकरण (वैक्सीनेशन) आवश्यक है। टीकाकरण न केवल बच्चों को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखता है, बल्कि उनके इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। सही उम्र में सही मात्रा में टीका लगवाने से गंभीर बीमारियों जैसे पोलियो, खसरा, डिप्थीरिया, टेटनस और हेपेटाइटिस जैसी समस्याओं से बचाव संभव होता है।

नीचे दिए गए लेख में बच्चों के जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक के लिए आवश्यक टीकाकरण की पूरी जानकारी दी गई है।


जन्म के समय (0-1 माह):

  1. बीसीजी (BCG):
    • बचाव: तपेदिक (टीबी) से।
    • समय: जन्म के तुरंत बाद।
    • मात्रा: 0.1 ml।
  2. हेपेटाइटिस बी वैक्सीन (Hepatitis B):
    • बचाव: हेपेटाइटिस बी वायरस के संक्रमण से।
    • समय: जन्म के 24 घंटे के भीतर।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  3. पोलियो (ओरल पोलियो वैक्सीन/ओपीवी):
    • बचाव: पोलियोमायलाइटिस से।
    • समय: जन्म के तुरंत बाद।
    • मात्रा: 2 बूंद।

6 सप्ताह की उम्र पर:

  1. डीपीटी (DPT):
    • बचाव: डिप्थीरिया, टेटनस, और काली खांसी से।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  2. ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी):
    • बचाव: पोलियो।
    • मात्रा: 2 बूंद।
  3. हिब वैक्सीन (Hib):
    • बचाव: हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी से।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  4. रोटावायरस वैक्सीन:
    • बचाव: डायरिया से।
    • मात्रा: 2 ml।
  5. पेंटावैलेंट वैक्सीन:
    • बचाव: डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी, हेपेटाइटिस बी और हिब से।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  6. न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV):
    • बचाव: न्यूमोनिया और मेनिंजाइटिस से।
    • मात्रा: 0.5 ml।

10 सप्ताह की उम्र पर:

  1. डीपीटी (DPT), हिब और हेपेटाइटिस बी का दूसरा डोज।
  2. ओपीवी का दूसरा डोज।
  3. पेंटावैलेंट वैक्सीन का दूसरा डोज।

14 सप्ताह की उम्र पर:

  1. डीपीटी (DPT), हिब और हेपेटाइटिस बी का तीसरा डोज।
  2. ओपीवी का तीसरा डोज।
  3. पेंटावैलेंट वैक्सीन का तीसरा डोज।
  4. न्यूमोकोकल वैक्सीन का दूसरा डोज।

6 महीने की उम्र पर:

  1. हेपेटाइटिस बी का तीसरा डोज।
  2. ओपीवी का चौथा डोज।

9 महीने से 12 महीने की उम्र पर:

  1. खसरा-रूबेला (MR) वैक्सीन:
    • बचाव: खसरा और रूबेला।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  2. जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन (JE):
    • बचाव: मस्तिष्क ज्वर से।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  3. न्यूमोकोकल वैक्सीन का तीसरा डोज।

16-24 महीने की उम्र पर:

  1. डीपीटी बूस्टर डोज:
    • बचाव: डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी।
    • मात्रा: 0.5 ml।
  2. ओपीवी बूस्टर।
  3. एमआर वैक्सीन का दूसरा डोज।
  4. जापानी इंसेफेलाइटिस का दूसरा डोज।

2 साल की उम्र पर:

  1. टायफाइड वैक्सीन:
    • बचाव: टायफाइड बुखार।
    • मात्रा: 0.5 ml।

5 साल की उम्र पर:

  1. डीटी वैक्सीन (Diphtheria और Tetanus):
    • मात्रा: 0.5 ml।
  2. ओपीवी का अंतिम डोज।

10 साल की उम्र पर:

  1. टीडी वैक्सीन (Tetanus और Diphtheria):
    • बचाव: टेटनस और डिप्थीरिया।
    • मात्रा: 0.5 ml।

16 साल की उम्र पर:

  1. टीडी वैक्सीन का बूस्टर।

वैक्सीनेशन का महत्व:

  • बीमारियों की रोकथाम: समय पर टीकाकरण से बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है।
  • सामूहिक प्रतिरक्षा: यदि अधिकतर बच्चों का टीकाकरण हो, तो बीमारियों का फैलाव कम होता है।
  • स्वास्थ्य खर्च की बचत: टीकाकरण बीमारी के इलाज से सस्ता होता है।

टीकाकरण के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:

  1. टीकाकरण का पूरा शेड्यूल डॉक्टर से लें।
  2. बच्चे की मेडिकल स्थिति को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण करवाएं।
  3. वैक्सीन लगाने के बाद बच्चों पर विशेष ध्यान दें।

निष्कर्ष:

टीकाकरण बच्चों के स्वास्थ्य का आधार है। माता-पिता को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और सही समय पर सभी टीके लगवाने चाहिए। इससे बच्चे स्वस्थ रहेंगे और बीमारियों का खतरा कम होगा।