भारत का पहला IAS अधिकारी कौन था?

आजादी से पहले और बाद में, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) को सबसे प्रतिष्ठित और कठिन सेवाओं में से एक माना गया है। यह भारतीय प्रशासनिक तंत्र की रीढ़ है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत का पहला IAS अधिकारी कौन था? इस लेख में हम आपको इस प्रश्न का उत्तर देंगे और उनके जीवन और योगदान पर प्रकाश डालेंगे।

ब्रिटिश काल में सिविल सेवा की शुरुआत

ब्रिटिश शासन के दौरान, 1858 में भारतीय सिविल सेवा (ICS) की स्थापना की गई थी। इसे उस समय “स्टील फ्रेम ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर” कहा जाता था। इसमें भारतीयों का प्रवेश बहुत कठिन था, क्योंकि परीक्षा केवल इंग्लैंड में आयोजित की जाती थी और इसमें अंग्रेजी भाषा का अत्यधिक ज्ञान आवश्यक था।

सत्येंद्र नाथ टैगोर: भारत के पहले ICS अधिकारी

सत्येंद्र नाथ टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की थी। वे नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे। 1863 में, सत्येंद्र नाथ टैगोर ने यह परीक्षा पास की और सिविल सेवा में नियुक्त हुए। उनकी इस उपलब्धि ने भारतीय युवाओं के लिए प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया।

IAS की शुरुआत और पहले IAS अधिकारी

आजादी के बाद, 1947 में भारतीय सिविल सेवा (ICS) का नाम बदलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) कर दिया गया। स्वतंत्र भारत के पहले IAS अधिकारी सुभाष चंद्र बोस के अनुज सत्येंद्रनाथ बोस नहीं थे, बल्कि भारत की पहली IAS परीक्षा पास करने वाले व्यक्ति आईएएस अनंतरामकृष्णन माने जाते हैं।

स्वतंत्र भारत में IAS का महत्व

स्वतंत्रता के बाद, IAS का उद्देश्य भारतीय समाज और प्रशासन को मजबूत करना था। यह सेवा देश के नीतिगत निर्णयों, विकास योजनाओं और प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सत्येंद्र नाथ टैगोर और स्वतंत्र भारत के IAS अधिकारियों ने प्रशासनिक सुधारों में जो योगदान दिया, वह आज भी देश की सेवा प्रणाली में झलकता है।

निष्कर्ष

भारत के पहले IAS अधिकारी ने न केवल प्रशासनिक तंत्र को मजबूत किया, बल्कि यह दिखाया कि भारतीयों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है। सत्येंद्र नाथ टैगोर के प्रयास और उपलब्धि ने आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम किया। स्वतंत्र भारत के IAS अधिकारियों ने भी अपनी नीतियों और कार्यों से देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इस तरह, भारतीय प्रशासनिक सेवा का इतिहास हमें न केवल हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से असंभव को संभव बनाया जा सकता है।