भारत के 5 राज्य जिनके ऊपर है सबसे ज्यादा कर्ज

भारत के विभिन्न राज्य अपनी आर्थिक आवश्यकताओं और विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए अक्सर कर्ज लेते हैं। हालांकि, बढ़ते कर्ज का स्तर राज्यों की वित्तीय स्थिति को कमजोर कर सकता है और विकास कार्यों में बाधा डाल सकता है। यह लेख भारत के शीर्ष पांच सबसे कर्जदार राज्यों और उनके आर्थिक प्रबंधन पर विस्तृत प्रकाश डालता है।


1. तमिलनाडु

तमिलनाडु देश का सबसे कर्जदार राज्य है। वित्त वर्ष 2024-25 में इसका कर्ज ₹8.34 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
कारण:

  • लोकलुभावन योजनाओं पर अधिक खर्च, जैसे मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली और अन्य सब्सिडी।
  • राजस्व संग्रह में कमी, खासकर महामारी के दौरान।
    चुनौतियां और समाधान:
    तमिलनाडु को अपनी राजस्व वृद्धि को प्राथमिकता देनी होगी और गैर-जरूरी खर्चों को कम करना होगा।

2. उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश का कर्ज ₹7.69 लाख करोड़ है। यह देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जिससे इसकी आर्थिक चुनौतियां बढ़ जाती हैं।
कारण:

  • ग्रामीण विकास और कृषि योजनाओं पर भारी निवेश।
  • बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बड़े पैमाने पर ऋण।
    चुनौतियां और समाधान:
    उत्तर प्रदेश को अपने वित्तीय प्रबंधन में सुधार कर, कर-संग्रह प्रणाली को मजबूत करना होगा।

3. महाराष्ट्र

महाराष्ट्र, जो भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई का घर है, ₹7.22 लाख करोड़ के कर्ज के साथ तीसरे स्थान पर है।
कारण:

  • शहरी विकास और बुनियादी ढांचे पर भारी खर्च।
  • महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियों में कमी।
    चुनौतियां और समाधान:
    राज्य को निजी निवेश को बढ़ावा देना चाहिए और अपने सार्वजनिक खर्चों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए।

4. पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल का कर्ज ₹6.58 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है।
कारण:

  • सब्सिडी और मुफ्त सेवाओं पर अत्यधिक खर्च।
  • राजस्व में कमी और आर्थिक गतिविधियों में धीमी गति।
    चुनौतियां और समाधान:
    राज्य को उद्योगों को बढ़ावा देकर राजस्व बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए।

5. कर्नाटक

कर्नाटक ₹5.97 लाख करोड़ के कर्ज के साथ पांचवें स्थान पर है।
कारण:

  • आईटी और बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश।
  • ग्रामीण और शहरी विकास योजनाओं पर अधिक खर्च।
    चुनौतियां और समाधान:
    राज्य को अपने वित्तीय संसाधनों का कुशलता से उपयोग करना होगा और राजस्व बढ़ाने के लिए नए उपाय खोजने होंगे।

कर्ज के बढ़ने के कारण

भारत के राज्यों के बढ़ते कर्ज के पीछे निम्नलिखित मुख्य कारण हैं:

  1. लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च: मुफ्त सेवाएं और सब्सिडी बढ़ने से खर्च बढ़ता है।
  2. राजस्व संग्रह में कमी: जीएसटी और अन्य करों से अपेक्षित राजस्व न मिल पाना।
  3. कोविड-19 का प्रभाव: महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं।
  4. बड़े पैमाने पर ऋण: बुनियादी ढांचे के विकास के लिए।

विशेषज्ञों की राय

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चेतावनी दी है कि कुछ राज्यों का कर्ज उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 35% से अधिक हो सकता है, जो गंभीर वित्तीय संकट का संकेत है। यदि ये राज्य अपने खर्चों को नियंत्रित नहीं करते हैं और राजस्व बढ़ाने के उपाय नहीं करते हैं, तो इनकी आर्थिक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।


समाधान और सुझाव

  1. गैर-जरूरी खर्चों में कटौती: राज्यों को मुफ्त सेवाओं और सब्सिडी पर खर्च सीमित करना चाहिए।
  2. राजस्व बढ़ाने के उपाय:
    • उद्योगों को प्रोत्साहन देना।
    • नई कर नीतियां लागू करना।
  3. निजी निवेश को बढ़ावा: विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित करने के उपाय करना।
  4. आर्थिक प्रबंधन में सुधार: खर्चों का पुनर्मूल्यांकन और विकास योजनाओं को प्राथमिकता देना।

निष्कर्ष

भारत के राज्यों का बढ़ता कर्ज चिंता का विषय है, लेकिन सही नीतियों और प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। राज्यों को अपने खर्चों में संतुलन बनाना होगा और राजस्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इस प्रकार, वे आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए विकास कार्यों को भी सुचारू रूप से जारी रख सकते हैं।