इस्लाम धर्म की शुरुआत कब और कैसे हुई

परिचय
इस्लाम धर्म, जिसे मुस्लिम धर्म भी कहा जाता है, विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है। यह धर्म इस्लामिक विश्वासों, सिद्धांतों और व्यवहारों का पालन करने वालों का मार्गदर्शन करता है। इस्लाम का आदर्श और मूल दर्शन है “ईश्वर के प्रति समर्पण” और यह मान्यता कि अल्लाह (ईश्वर) ही सर्वशक्तिमान और सर्वोत्तम है। इस्लाम धर्म का प्रादुर्भाव सातवीं शताब्दी में अरब क्षेत्र में हुआ था, और इसके संस्थापक Prophet Muhammad (मुहम्मद साहब) थे। इस धर्म के अनुयायी मुस्लिम कहलाते हैं और उनके धार्मिक ग्रंथ को “क़ुरआन” कहा जाता है।

इस्लाम धर्म का प्रारंभ
इस्लाम धर्म की शुरुआत 610 ईस्वी में मक्का (आजकल सऊदी अरब) में हुई थी, जब Prophet Muhammad को पहले बार एक दिव्य संदेश प्राप्त हुआ। यह संदेश अल्लाह की ओर से था, जो भविष्य में इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांतों और आस्थाओं का आधार बना। इस्लाम धर्म का सबसे पहला संदेश था “तवहीद” (अल्लाह की एकता) और “रिसालत” (मुहम्मद को अल्लाह का अंतिम संदेशवाहक मानना)।

प्रभात काल और मुहम्मद साहब का जीवन
मुहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का शहर में हुआ था। उनका जन्म एक सम्मानित कबीले, क़ुरैश, में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल्ला था, जो उनकी जन्म के समय ही निधन हो गए थे, और उनकी माता आमिना का निधन उनकी बचपन में हुआ। मुहम्मद साहब ने अपने नाना और फिर चाचा की देखरेख में अपने बचपन को बिताया।

मुहम्मद साहब का युवा जीवन व्यापार में था और उन्होंने एक व्यापारी महिला, खदीजा से विवाह किया। खदीजा ने ही उन्हें पहला दिव्य संदेश प्राप्त करने के बाद समर्थन दिया। मुहम्मद साहब को मक्का के गहरे पहाड़ों में एक गुफा में ध्यान करने की आदत थी। यहीं उन्हें 610 ईस्वी में पहली बार अल्लाह का संदेश प्राप्त हुआ, जो बाद में क़ुरआन के रूप में संकलित हुआ।

मुहम्मद साहब का संदेश
मुहम्मद साहब को जो संदेश प्राप्त हुआ था, वह एकता और शांति का था। उनका संदेश था कि सभी लोग केवल एक ही ईश्वर (अल्लाह) की पूजा करें और उसकी इच्छाओं के अनुसार जीवन व्यतीत करें। इस्लाम धर्म के आधारभूत सिद्धांतों में शामिल हैं:

  1. तवहीद (अल्लाह की एकता) – इस्लाम धर्म में एकमात्र ईश्वर अल्लाह की पूजा की जाती है।
  2. रिसालत (नबी का संदेश) – मुहम्मद साहब को अल्लाह का अंतिम संदेशवाहक मानते हुए उनकी शिक्षाओं का पालन किया जाता है।
  3. क़ुरआन – क़ुरआन को अल्लाह का शब्द माना जाता है, जो मुहम्मद साहब को जिबरील (गैब्रियल) के माध्यम से दिया गया था। यह इस्लाम धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथ है।
  4. हदीस – हदीस मुहम्मद साहब के कथन और कार्यों का संग्रह है, जो इस्लामिक कानून और जीवन शैली के मार्गदर्शन के लिए है।
  5. स्लाम – शांति और समर्पण का अर्थ है, जो इस्लाम धर्म के अनुयायी के जीवन का उद्देश्य है।

इस्लाम धर्म का फैलाव
मुहम्मद साहब के संदेश के बाद, इस्लाम धर्म धीरे-धीरे मक्का और उसके आस-पास के क्षेत्रों में फैलने लगा। हालांकि, मक्का में इस्लाम के शुरुआती अनुयायी को कड़ी चुनौतियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, मुहम्मद साहब ने कभी हार नहीं मानी।

622 ईस्वी में, मुहम्मद साहब और उनके अनुयायी मक्का से मदीना (तब का यथरिब) भाग गए, जिसे हिजरत (Migration) कहा जाता है। मदीना में उन्होंने एक मजबूत मुस्लिम समुदाय की स्थापना की और इस्लाम को विस्तृत किया। मदीना में इस्लामिक राज्य की नींव रखी गई और यहां से इस्लाम ने धीरे-धीरे पूरे अरब क्षेत्र और उसके बाद पूरी दुनिया में फैलना शुरू किया।

मुहम्मद साहब का निधन और इस्लाम धर्म का विस्तार
मुहम्मद साहब का निधन 632 ईस्वी में हुआ, लेकिन उनके उपदेशों और शिक्षाओं के कारण इस्लाम धर्म का प्रसार बहुत तेजी से हुआ। उनके निधन के बाद, उनके उत्तराधिकारी, जिन्हें खलीफा कहा जाता है, ने इस्लाम धर्म का प्रचार शुरू किया और यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलने लगा।

निष्कर्ष
इस्लाम धर्म का उदय 610 ईस्वी में हुआ, जब मुहम्मद साहब ने अल्लाह से पहला दिव्य संदेश प्राप्त किया। इस्लाम का मुख्य संदेश एक ईश्वर की पूजा और उसके आदेशों का पालन करने का था। मुहम्मद साहब की शिक्षा और क़ुरआन के माध्यम से यह धर्म सैकड़ों वर्षों में विश्व भर में फैल गया। आज इस्लाम दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक है, जिसके करोड़ों अनुयायी हैं।