मणिपुर, भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक संवेदनशील राज्य, 2023 से जातीय हिंसा की चपेट में है। यह हिंसा मुख्य रूप से मैतै और कुकी समुदायों के बीच हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों लोगों की मृत्यु, हजारों का विस्थापन, और व्यापक संपत्ति का विनाश हुआ है। इस लेख में, हम मणिपुर हिंसा के प्रमुख कारणों, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेंगे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मणिपुर की जनसंख्या मुख्य रूप से तीन समुदायों में विभाजित है: मैतै, कुकी, और नागा। मैतै समुदाय राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 53% है और वे मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में निवास करते हैं। कुकी और नागा समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में बसे हुए हैं और राज्य की जनसंख्या का लगभग 40% हिस्सा बनाते हैं। मैतै समुदाय हिंदू धर्म का पालन करता है, जबकि कुकी और नागा मुख्य रूप से ईसाई हैं।
मणिपुर का इतिहास जातीय और सांस्कृतिक विविधता से भरा है, लेकिन साथ ही यह क्षेत्रीय और जातीय तनावों का भी साक्षी रहा है। ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान और स्वतंत्रता के बाद, इन समुदायों के बीच संसाधनों, भूमि, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर विवाद होते रहे हैं।
वर्तमान हिंसा के प्रमुख कारण
1. अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग
मैतै समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा पाने की मांग कर रहा है, जिससे उन्हें सरकारी नौकरियों, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में आरक्षण का लाभ मिल सके। साल 2023 में, मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मैतै समुदाय की इस मांग पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया। इस निर्णय ने कुकी और नागा समुदायों में असंतोष पैदा किया, क्योंकि उन्हें लगा कि मैतै समुदाय को एसटी दर्जा मिलने से उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
2. भूमि और संसाधनों पर विवाद
मणिपुर में भूमि का वितरण असमान है। मैतै समुदाय इम्फाल घाटी के 10% क्षेत्र में सीमित है, जबकि कुकी और नागा समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों के 90% हिस्से में बसे हैं। मैतै समुदाय को पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि खरीदने की अनुमति नहीं है, जबकि आदिवासी समुदायों को घाटी में बसने से कोई प्रतिबंध नहीं है। मैतै समुदाय का एसटी दर्जा प्राप्त करने का प्रयास इन भूमि विवादों को और बढ़ा रहा है, जिससे आदिवासी समुदायों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है।
3. अवैध अप्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन
राज्य सरकार ने 2023 में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ बेदखली अभियान शुरू किया, जो मुख्य रूप से कुकी जनजाति के खिलाफ लक्षित था। इससे कुकी समुदाय में असंतोष बढ़ा और उन्होंने इसे अपने खिलाफ भेदभाव के रूप में देखा। इसके अलावा, म्यांमार से अवैध अप्रवासियों की बढ़ती संख्या ने जनसांख्यिकीय संतुलन को प्रभावित किया है, जिससे स्थानीय समुदायों में तनाव बढ़ा है।
4. धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताएं
मैतै समुदाय मुख्य रूप से हिंदू है, जबकि कुकी और नागा समुदाय ईसाई हैं। धार्मिक भिन्नताओं के कारण भी आपसी अविश्वास और तनाव बढ़ा है। हिंसा के दौरान चर्चों और मंदिरों पर हमले हुए हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और संघर्ष और गहरा हुआ है।
हिंसा की घटनाएं और प्रभाव
3 मई 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा आयोजित “आदिवासी एकजुटता मार्च” के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए, हजारों घायल हुए, और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। घरों, धार्मिक स्थलों, और सार्वजनिक संपत्तियों को व्यापक नुकसान पहुंचा। सरकार ने कर्फ्यू, इंटरनेट बंदी, और सेना की तैनाती जैसे कदम उठाए, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।
समाधान के प्रयास
केंद्र और राज्य सरकारों ने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती, कर्फ्यू लागू करना, और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करना शामिल है। इसके अलावा, एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया है, जो हिंसा के कारणों की जांच करेगा। हालांकि, समुदायों के बीच विश्वास बहाली और संवाद स्थापित करना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
निष्कर्ष
मणिपुर में जारी हिंसा के पीछे कई जटिल कारक हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक पहलू शामिल हैं। इन समस्याओं का समाधान केवल कानून और व्यवस्था के माध्यम से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सभी समुदायों के बीच संवाद, समझ, और सहयोग आवश्यक है। सरकार, नागरिक समाज, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि मणिपुर में शांति और स्थिरता स्थापित हो सके और सभी समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा हो सके।