मथुरा में गोकुल धाम के नंद महल मंदिर में इस तरह हो रही है स्कैम, जाने वाले भक्त बच के रहें

गोकुल मथुरा, एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो भगवान श्री कृष्ण के बचपन की घटनाओं से जुड़ा हुआ है। यह स्थल न केवल हिन्दू धर्म के आस्थावानों के लिए बल्कि भारतीय संस्कृति के अनुयायियों के लिए भी अत्यधिक महत्व रखता है। यहां स्थित मंदिरों, घाटों और अन्य धार्मिक स्थल भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गोकुल मथुरा, जहां भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और जहां उन्होंने अपनी युवावस्था में कई लीलाओं का प्रदर्शन किया था, प्रत्येक साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, इस धार्मिक स्थल पर एक काले धब्बे के रूप में स्कैम्स की घटनाएं सामने आई हैं, जो न केवल श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का शोषण करती हैं, बल्कि उनकी मेहनत की कमाई भी लूट लेती हैं।

गोकुल मथुरा की धार्मिक महत्वता

गोकुल मथुरा का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक है क्योंकि यह भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि है। यहां के प्रमुख स्थल जैसे गोकुल, नंदगांव, और कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, आदि श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। विशेषकर गोकुल नंद महल मंदिर में भगवान कृष्ण के बचपन की कई लीलाओं से जुड़ी कथाएं प्रचलित हैं। यहां आकर लोग भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं और उनकी दी गई शिक्षाओं का अनुसरण करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

यही कारण है कि गोकुल मथुरा में आने वाले भक्तों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। विशेष अवसरों पर जैसे जन्माष्टमी, होली और दीपावली आदि पर यहां का माहौल बहुत ही भव्य और आस्थामयी हो जाता है। लेकिन अब इस स्थान पर धार्मिक भावनाओं का शोषण करने वाली कुछ आपराधिक गतिविधियां भी सामने आ रही हैं, जो न केवल श्रद्धालुओं के अनुभव को खराब करती हैं, बल्कि उनके साथ धोखाधड़ी भी करती हैं।

गोकुल मथुरा में चल रहा स्कैम: एक नेटवर्क की मिलीजुली साजिश

गोकुल मथुरा में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा स्कैम किए जाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इस स्कैम के मुख्य भागीदार ऑटो चालक, गाइड और मंदिर के पंडित हैं, जो मिलकर श्रद्धालुओं से धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हैं। स्कैम की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है:

  1. ऑटो चालक और गाइड की साजिश: सबसे पहले, श्रद्धालुओं को मथुरा स्टेशन या अन्य प्रमुख स्थानों से गोकुल के मंदिरों तक लाने के लिए ऑटो चालक भर्ती किए जाते हैं। इन ऑटो चालकों का काम सिर्फ लोगों को गोकुल के मंदिरों तक पहुंचाना नहीं होता, बल्कि वे गाइड से भी मिलकर काम करते हैं। ऑटो चालक पहले से ही गाइड से संपर्क करके यह पता कर लेते हैं कि उनके यात्री कितने अमीर हैं या उनका दान देने का रुझान क्या है। इसके आधार पर गाइड पहले से ही तय कर लेता है कि श्रद्धालु से कितने पैसे ऐंठने हैं।
  2. गाइड की भूमिका: गाइड उन श्रद्धालुओं को सबसे पहले मंदिर की जानकारी देता है और धीरे-धीरे उन्हें धार्मिक महत्व के बारे में बताता है। इसके बाद, गाइड भक्तों को मंदिर के पंडितों के पास ले जाता है, जहां पंडित उन्हें धार्मिक दान के लिए प्रेरित करते हैं। इस पूरे दौरान पंडित और गाइड मिलकर यह भ्रम फैलाते हैं कि यदि भक्त दान नहीं करेंगे, तो उनका पूजा अधूरा रह जाएगा और वे पुण्य से वंचित हो जाएंगे।
  3. पंडित की दान राशि का निर्धारण: पंडित ने दान राशि की मांग इस तरह से की जाती है कि वह श्रद्धालु के आर्थिक स्थिति के हिसाब से तय की जाती है। उदाहरण स्वरूप, गोकुल के नंद महल मंदिर में एक पंडित ने दान के लिए 600 रुपये की राशि तय की, यह राशि विशेष रूप से गौ माता की पूजा के लिए थी। इसी तरह से माता-पिता की पूजा के लिए 1000 रुपये, ब्राह्मण पूजा के लिए 2000 रुपये, और नंद गोपाल के 56 भोग अर्पित करने के लिए 5000 रुपये तक की मांग की जाती है। इस प्रकार से भक्तों से लगातार बड़े पैमाने पर धन की मांग की जाती है।
  4. गाइड और पंडित की मिलीभगत: यहां एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि गाइड और पंडित दोनों के बीच सख्त मिलीभगत होती है। गाइड पहले से ही जानता है कि श्रद्धालु के पास कितने पैसे हो सकते हैं और फिर पंडित उस हिसाब से दान राशि की मांग करता है। यह पूरी प्रक्रिया भक्तों के लिए एक जाल की तरह होती है, जहां उन्हें अपनी भावनाओं और विश्वास के कारण दान करने के लिए मजबूर किया जाता है।

हालिया घटना: तीन दोस्तों के साथ स्कैम

इस पूरे स्कैम का एक ताजा उदाहरण हाल ही में तीन दोस्तों – अमित शाहू, रवि वर्मन और चंद्रकांत आमों के साथ हुआ। ये तीन दोस्त मथुरा से गोकुल ऑटो में जा रहे थे, जब उन्हें रास्ते में एक गाइड मिला, जो यह कहकर उन्हें गोकुल की धार्मिक जगहों की जानकारी देने की पेशकश करता है। गाइड ने इन तीनों को बताया कि गोकुल में बहुत सी पवित्र स्थल हैं और अगर वे इन स्थलों पर अच्छे से पूजा करेंगे, तो उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।

गाइड ने उन्हें गोकुल नंद महल मंदिर की ओर ले जाया, जहां पंडितों ने उन्हें बताया कि अगर वे गौ माता की पूजा और अन्य अनुष्ठान नहीं करेंगे, तो उनकी पूजा अधूरी रहेगी। गाइड और पंडित ने उन्हें यह कहकर दान देने के लिए मजबूर किया कि दान के बिना पूजा पूरी नहीं हो सकती। इन तीन दोस्तों में से चंद्रकांत आर्मो ने जल्दबाजी और बहकावे में 600 रुपये की राशि दान में दे दी, जबकि अन्य दो को लगा कि यह सब कुछ एक धांधली है। बाद में, जब इन दोस्तों ने पूरे मामले की गहराई से जांच की, तो उन्होंने पाया कि ऑटो चालक, गाइड और पंडित सभी मिलकर श्रद्धालुओं को फंसाते हैं और उनका पैसा लूटते हैं।

क्या किया जा सकता है?

  1. जागरूकता फैलाना: सबसे पहले तो यह जरूरी है कि श्रद्धालुओं को इस प्रकार के स्कैम के बारे में जानकारी हो, ताकि वे इन ठगों के चक्कर में न फंसे।
  2. मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी: मंदिर प्रशासन को इस प्रकार की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और गाइडों और पंडितों के साथ अनुशासन के नियमों का पालन कराना चाहिए।
  3. स्थानीय प्रशासन से मदद: मथुरा और गोकुल जैसे धार्मिक स्थानों पर स्थानीय प्रशासन को इन धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।
  4. न्यायिक कार्रवाई: ऐसे मामलों में पुलिस या अन्य न्यायिक व्यवस्था को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं का शोषण रोका जा सके।

निष्कर्ष

गोकुल मथुरा में हो रहे स्कैम ने न केवल भक्तों की आस्थाओं को चोट पहुंचाई है, बल्कि उन धर्माचार्यों और धार्मिक स्थलों की छवि को भी धूमिल किया है जो लोगों को शांति और आस्था का संदेश देते हैं। श्रद्धालुओं को जागरूक रहना चाहिए और ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए। केवल तभी हम इस प्रकार के धोखाधड़ी से बच सकते हैं और धार्मिक स्थलों को अपने सही उद्देश्य के लिए फिर से समर्पित कर सकते हैं।