किसी भी सांसद को उसके पद से हटाने या निलंबित करने का अधिकार किसके किसके पास होता है, पढ़ें यह जानकारी

भारत में किसी सांसद को हटाने या निलंबित करने का अधिकार विभिन्न संस्थानों और प्रक्रियाओं के तहत निर्धारित किया गया है। यह निर्णय सांसद के आचरण, कर्तव्यों के पालन, और संवैधानिक मानदंडों पर निर्भर करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:


1. संसद (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा निलंबन

सांसद को सदन के नियमों और अनुशासन का पालन करना अनिवार्य है। यदि कोई सांसद सदन में अनुचित आचरण करता है, तो सदन उसे निलंबित कर सकता है।

  • संसद के स्पीकर (लोकसभा) या चेयरमैन (राज्यसभा):
    • अनुचित आचरण या सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर स्पीकर या चेयरमैन सांसद को अस्थायी रूप से निलंबित कर सकते हैं।
    • निलंबन की अवधि स्पीकर/चेयरमैन के विवेक पर या सदन के निर्णय के अनुसार होती है।
  • सदन का बहुमत:
    • सांसद को निलंबित करने के लिए सदन में बहुमत का समर्थन आवश्यक होता है।

2. संविधान के तहत अयोग्यता

भारत का संविधान सांसदों को हटाने की प्रक्रिया का भी प्रावधान करता है।

  • अनुच्छेद 102 और अनुच्छेद 191:
    • यदि कोई सांसद अयोग्य पाया जाता है, तो उसे हटाया जा सकता है।
    • अयोग्यता के कारण:
      1. सरकारी लाभ का पद धारण करना।
      2. दिवालिया घोषित होना।
      3. मानसिक विकार से ग्रस्त होना।
      4. भारतीय नागरिकता का त्याग करना।
      5. भ्रष्टाचार या अन्य आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया जाना।

3. राष्ट्रपति का अधिकार (चुनाव आयोग की सिफारिश पर)

  • यदि कोई सांसद संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत अयोग्य पाया जाता है, तो चुनाव आयोग इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजता है।
  • राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर सांसद को उनके पद से हटा सकते हैं।

4. राजनीतिक दल द्वारा हटाने का अधिकार (दल-बदल कानून)

  • दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची):
    • यदि कोई सांसद अपने राजनीतिक दल की नीति के खिलाफ कार्य करता है या दल बदलता है, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।
    • दल का नेता स्पीकर/चेयरमैन को अयोग्यता के लिए आवेदन दे सकता है।
    • स्पीकर/चेयरमैन मामले की जांच कर सांसद को पद से हटा सकते हैं।

5. अदालत का हस्तक्षेप

  • यदि किसी सांसद को आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया जाता है और उन्हें दो या अधिक साल की सजा होती है, तो वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्य हो जाते हैं।
  • अदालत के आदेश के बाद चुनाव आयोग उन्हें सांसद पद से हटाने की प्रक्रिया पूरी करता है।

6. संसद में महाभियोग के माध्यम से

  • सांसद के आचरण से संबंधित गंभीर मामलों में, सदन महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
  • यह प्रक्रिया सामान्यतः उच्च पदों (राष्ट्रपति, न्यायाधीश) के लिए होती है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में सांसदों के खिलाफ भी लागू की जा सकती है।

निष्कर्ष

सांसद को हटाने या निलंबित करने का अधिकार संसद, संविधान, राष्ट्रपति, स्पीकर/चेयरमैन, और अदालत के माध्यम से लागू किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि सांसद अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार रहें और भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की गरिमा बनी रहे।