डिजिटल लेन-देन को सरल और तेज़ बनाने के लिए भारत में UPI (Unified Payments Interface) का विकास किया गया। UPI ने पैसे के लेन-देन का तरीका पूरी तरह बदल दिया है और इसे हर वर्ग के लोगों के लिए सहज और सुलभ बना दिया है। UPI को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है। यह आरबीआई और भारत सरकार के सहयोग से तैयार किया गया एक अनोखा प्लेटफॉर्म है। आइए जानते हैं कि UPI Payment System को किसने बनाया, इसे विकसित करने का उद्देश्य क्या था, और इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल थे।
UPI का विकास
1. नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI):
UPI का निर्माण NPCI द्वारा किया गया, जो भारत का एक प्रमुख भुगतान संगठन है। NPCI की स्थापना 2008 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंकिंग संघ (IBA) द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में एकीकृत भुगतान और निपटान प्रणाली का विकास करना है।
2. आरबीआई का योगदान:
भारतीय रिज़र्व बैंक ने UPI के विकास और इसके क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आरबीआई का लक्ष्य भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और नकदी पर निर्भरता को कम करना था।
3. डॉ. रघुराम राजन:
UPI के विचार की शुरुआत डॉ. रघुराम राजन के कार्यकाल में हुई, जब वे भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे। उन्होंने डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए NPCI को एक रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया।
4. नंदन नीलेकणी:
नंदन नीलेकणी, जो भारतीय आधार प्रणाली (UIDAI) के संस्थापक हैं, ने UPI की संरचना और डिज़ाइन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल और व्यापक बनाने में NPCI का मार्गदर्शन किया।
UPI के विकास का उद्देश्य
- डिजिटल लेन-देन को सरल बनाना:
UPI को इस तरह डिज़ाइन किया गया कि यह मोबाइल फोन पर आसानी से काम कर सके। उपयोगकर्ता केवल एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) या मोबाइल नंबर का उपयोग करके पैसे भेज और प्राप्त कर सकते हैं। - कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा:
भारत को एक कैशलेस इकोनॉमी बनाने के लिए UPI को डिजिटल लेन-देन का आधार बनाया गया। - विभिन्न बैंकिंग सेवाओं को एकीकृत करना:
UPI ने विभिन्न बैंकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाकर बैंकिंग प्रक्रिया को सरल बनाया। - छोटे व्यापारियों और ग्राहकों को सशक्त बनाना:
UPI ने छोटे व्यापारियों और व्यक्तिगत ग्राहकों को डिजिटल भुगतान स्वीकार करने और करने में सक्षम बनाया।
UPI की शुरुआत और लॉन्च
UPI को 11 अप्रैल 2016 को मुंबई में लॉन्च किया गया था। इसके लॉन्च के समय 21 बैंकों ने इसका समर्थन किया। शुरुआत में इसे केवल Android उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया गया था, लेकिन बाद में इसे iOS उपयोगकर्ताओं के लिए भी पेश किया गया।
UPI के मुख्य आर्किटेक्ट
1. NPCI की टीम:
NPCI के अध्यक्ष और तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने UPI को विकसित किया।
2. डॉ. रघुराम राजन:
उनके कार्यकाल में UPI का विचार सामने आया और इसे क्रियान्वित किया गया।
3. नंदन नीलेकणी:
उन्होंने तकनीकी सलाहकार के रूप में काम किया और UPI को उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. दिल्ली और बेंगलुरु की तकनीकी टीम:
NPCI के तकनीकी केंद्रों में काम करने वाली टीम ने UPI को विकसित करने के लिए गहन शोध और परीक्षण किए।
UPI की सफलता
- सरल उपयोग:
UPI का इंटरफेस इतना सरल है कि इसे तकनीकी ज्ञान न रखने वाले लोग भी आसानी से उपयोग कर सकते हैं। - व्यापक स्वीकृति:
आज UPI लगभग हर बैंक और डिजिटल वॉलेट प्लेटफॉर्म पर समर्थित है। - अंतरराष्ट्रीय पहचान:
भारत में UPI की सफलता ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है। कुछ देशों ने भी UPI जैसी प्रणालियां अपनानी शुरू कर दी हैं। - तेजी से बढ़ता लेन-देन:
अक्टूबर 2024 तक UPI के जरिए मासिक लेन-देन का आंकड़ा 15 बिलियन से भी अधिक हो चुका है।
निष्कर्ष
UPI Payment System को बनाने का श्रेय NPCI और भारतीय रिज़र्व बैंक को जाता है, जिन्होंने डिजिटल भुगतान को सरल, तेज़ और सुरक्षित बनाने के लिए इसे विकसित किया। डॉ. रघुराम राजन और नंदन नीलेकणी जैसे दिग्गजों की सोच और प्रयासों ने इसे सफल बनाया। UPI ने न केवल भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाया है, बल्कि दुनिया भर के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
UPI एक ऐसा नवाचार है, जिसने “डिजिटल इंडिया” के सपने को हकीकत में बदल दिया।